
शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने एक बार फिर वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग को सार्वजनिक मंच पर उठाया है। राउत ने कहा कि सिर्फ डिग्री लौटाना काफी नहीं है, सरकार को उनके योगदान के लिए देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देना चाहिए।
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“सिर्फ डिग्री नहीं, सच्चा सम्मान चाहिए”
संजय राउत ने कहा,”वीर सावरकर की बैरिस्टर डिग्री ब्रिटिश सरकार ने जब्त की थी। फिर भी हम उन्हें बैरिस्टर कहते हैं। डिग्री लौटाना स्वागत योग्य कदम है, लेकिन सवाल ये है कि उन्हें भारत रत्न कब मिलेगा?“
राउत ने कटाक्ष करते हुए कहा कि इसका उत्तर न देवेंद्र फडणवीस, न अमित शाह, और न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है।
फडणवीस की घोषणा के बाद उठा सवाल
मंगलवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि वीर सावरकर की बैरिस्टर डिग्री की बहाली के लिए सरकार प्रयासरत है। इसके बाद सावरकर को भारत रत्न देने की बहस एक बार फिर तेज हो गई है।
वीर सावरकर का योगदान और विवाद
वीर सावरकर को हिंदुत्व विचारधारा के प्रमुख स्तंभ के रूप में देखा जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम, दंडनायक कालापानी की सजा, और हिंदू एकता को लेकर महत्वपूर्ण कार्य किए, लेकिन उनके जीवन और राजनीतिक दृष्टिकोण को लेकर राजनीतिक हलकों में मतभेद भी हैं।
भारत रत्न की राजनीति और प्रतीकवाद
सावरकर को भारत रत्न देने की मांग पहले भी उठती रही है, लेकिन यह हर बार राजनीतिक असहमति और वैचारिक टकराव में उलझ जाती है। विपक्ष का एक वर्ग सावरकर के विचारों को विवादास्पद मानता है, जबकि समर्थक उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन का नायक बताते हैं।
डिग्री बहाल, लेकिन सम्मान अधूरा?
सावरकर की बैरिस्टर डिग्री की बहाली को सांकेतिक न्याय माना जा सकता है, लेकिन संजय राउत जैसे नेताओं के लिए यह सिर्फ एक कदम है। जब तक वीर सावरकर को भारत रत्न नहीं मिलता, तब तक यह सम्मान अधूरा माना जाएगा — ऐसा संजय राउत का मानना है।
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